सोमवार, 3 नवंबर 2008

durg chhattisgarh india

खामोश सडको मे अचानक हलचल होने लगी,हक्लू भी अपने घिसे पराने कुरते पैजामे को निकल लाया,टिनोपाल और नील से झक सफेदा किया नेताजी आने वाले थे अब चुनाव जो आ गया था,हक्लू सोचने लगा चलो कुछ दिनों के लिए काम तो मिल गया,सिर्फ़ नारे बस तो लगाना है नेताजी कितने अच्छे है रोज के पचास देंगे कम से कम १५ दिन फाका तो नही रहेगा आजकल काम मिलना भी मुस्किल है शाम को गले भी तर कर लेता है वो भी मुफ्त मे ,उसने परसों ही तो देखा था देशी वाले ठेकेदार ने कितनी सारी पेटिया चुनाव के वास्ते नेताजी को दी थी ,हकालू फट्टी पहनने के लिए इधर उधर देखा कल यंही पर तो उतारा था ..उसने दुसरे कमरे मे झाँका तो अचानक सडी मछली जैसी तेज गंध ने नाक पर हाथ धरने को मजबूर कर दिया उसने इधर उधर तांक झांक किया तो एक मरा चूहा दिखा उसे याद आया परसों ही तो उसने चूहा मारने की दवाई डाली थी उसने नक् भोऊ सिकोड़कर उसे उठाकर बाहेर फेंका .....फट्टी पहनकर सड़क मे आया ओउर पार्टी कार्यालय की और कदम बढाया गली के चौराहे पर आकर बगल की नाली पर नजर दौडाया बजबजाती नाली को देखकर उसे अपने पार्षद की याद आई कित्ती बार लोग नाली सफाई के लिए बोल रहे है पर सुनती ही नही है सिर्फ़ अपने घर की नाली बाथरूम को ही सफाई करवा के स्वीपर को रवाना कर देती है कुछ भी हो क्या करना है....सोचते साचते उसे मिया का टाप्रिनुमा हाटेल दिख गया
उसने मिया को एक कट चाय के लिए बोला और जेब मे हाथ डाल टटोली एक सिक्का पडा था चाय पी मिया की और सिक्का उछाल आगे बढ़ा .......

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